भारत में गर्मी का प्रकोप जारी है, और इस बीच मानसून भी समय पर नहीं पहुंच पाया है, जिससे लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में पहुंचा था। इसके बाद, 26 मई तक चक्रवात रेमल के कारण यह दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्सों तक फैल गया था।
आईएमडी के अनुसार…
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 12 से 18 जून के बीच मानसून में कोई प्रगति नहीं हुई है, जिसके चलते जून के महीने में भारत में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम विभाग का कहना है कि अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून पहुंच सकता है। आईएमडी के अनुसार, भारत में 1 से 18 जून के बीच 64.5 मिमी बारिश हुई, जो कि 80.6 मिमी के औसत से 20 प्रतिशत कम है। 1 जून से अब तक उत्तर-पश्चिम भारत में 10.2 मिमी बारिश (सामान्य से 70 प्रतिशत कम), मध्य भारत में 50.5 मिमी (सामान्य से 31 प्रतिशत कम), दक्षिण प्रायद्वीप में 106.6 मिमी (सामान्य से 16 प्रतिशत अधिक) और पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत में 146.7 मिमी (सामान्य से 15 प्रतिशत कम) बारिश दर्ज की गई है।
मानसून की चाल…
दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ा था। इसके बाद 26 मई तक यह चक्रवात रेमल के साथ दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्सों को कवर कर चुका था। 30 मई को यह केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में पहुंचा, जो सामान्य से क्रमशः दो और छह दिन पहले था। 12 जून तक, मानसून ने धीरे-धीरे केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के पूरे हिस्सों को कवर कर लिया था। इसके अलावा, दक्षिणी महाराष्ट्र, दक्षिणी छत्तीसगढ़, दक्षिणी ओडिशा और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम तथा सभी पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों को भी मानसून ने कवर कर लिया। मौसम विभाग के अनुसार, 18 जून तक मानसून की उत्तरी सीमा नवसारी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, बीजापुर, सुकमा, मलकानगिरी और विजयनगरम से होकर गुजरी। देश के 11 मौसम विज्ञान उप-विभागों में 1 से 18 जून के बीच सामान्य से लेकर बहुत अधिक बारिश हुई, जबकि 25 में बहुत कम बारिश दर्ज की गई।
सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद…
मौसम विभाग ने मई के अंत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि इस साल मानसून के चार महीनों (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। कुल बारिश 87 सेमी औसत का 106 प्रतिशत रहने का अनुमान है। क्षेत्रवार अनुमान के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम, उत्तर-पश्चिम में सामान्य और मध्य तथा दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है। मानसून भारतीय कृषि परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर करता है। मानसून पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को भरने के लिए भी आवश्यक है।
कृषि के लिए महत्वपूर्ण समय…
जून और जुलाई को कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है, क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी अवधि के दौरान होती है। यदि मानसून सामान्य से कम होता है, तो इसका प्रभाव कृषि उत्पादन पर पड़ सकता है, जिससे किसानों और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए, आने वाले दिनों में मानसून की प्रगति और बारिश की मात्रा पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, ताकि किसानों को समय पर सही जानकारी मिल सके और वे अपने कृषि गतिविधियों को उसी के अनुसार समायोजित कर सकें।
कृषि और मानसून का गहरा संबंध…
भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून बहुत महत्वपूर्ण है। खरीफ फसल की बुवाई ज्यादातर जून और जुलाई में होती है, इसलिए इस दौरान बारिश का होना आवश्यक है। अगर मानसून समय पर और पर्याप्त बारिश लाता है, तो किसानों को फायदा होता है और अच्छी फसल होती है। लेकिन अगर बारिश कम होती है या देर से होती है, तो इसका असर खेती पर पड़ता है, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल मानसून में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो यह किसानों के लिए अच्छी खबर होगी। इससे न केवल फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि जलाशयों में भी पानी का स्तर बढ़ेगा, जो पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
मौसम विभाग के अनुसार…
मानसून की देरी ने लोगों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। गर्मी के कारण लोग पहले ही परेशान थे, और अब बारिश की कमी ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। खेती पर भी इसका असर पड़ रहा है। किसानों को बुवाई के लिए बारिश का इंतजार है। अगर जल्द ही बारिश नहीं होती है, तो फसलों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में मानसून की प्रगति होने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो किसानों और आम लोगों को राहत मिलेगी। गर्मी और मानसून की देरी ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है, लेकिन तब तक लोगों को इंतजार करना पड़ेगा। मानसून का समय पर और पर्याप्त मात्रा में आना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह न केवल खेती के लिए, बल्कि पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है। सभी की नजरें अब मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर टिकी हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी।