लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में कई महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीद कम मतदान दर्ज किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति जूबिन इरानी और विपक्ष के प्रमुख चेहरा राहुल गांधी की सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा मतदाता बूथों तक नहीं पहुंचे। उत्तर प्रदेश की कई प्रमुख सीटों पर भी इसी तरह की स्थिति देखी गई, जहां कई केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की सीटों पर औसत से कम मतदान हुआ।

पांचवें चरण की प्रमुख सीटें

पांचवें चरण में लखनऊ सीट से भाजपा के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह चुनाव मैदान में थे। परंतु लखनऊ में इस चरण के औसत मतदान 58.02 प्रतिशत से भी कम वोट पड़े। अमेठी सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति जूबिन इरानी प्रत्याशी थीं, और यहां भी इस चरण के औसत मतदान से 3.68 प्रतिशत कम मतदान हुआ।
फतेहपुर से केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति चुनाव मैदान में थीं, लेकिन यहां भी औसत के बराबर मतदान नहीं रहा। मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की सीट पर भी पहले चरण के औसत मतदान 61.11 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ 59.13 प्रतिशत वोटर ही बूथ तक पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी, राहुल गांधी के क्षेत्र रायबरेली, मेनका गांधी के क्षेत्र सुल्तानपुर, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के क्षेत्र मिर्जापुर, धर्मेंद्र यादव के क्षेत्र आजमगढ़ में भी मतदान संबंधित चरणों के औसत से तो ज्यादा रहा, लेकिन 60 फीसदी तक नहीं पहुंच सका।

कुछ सीटों पर अच्छा मतदान

इसके विपरीत, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सीट कन्नौज, केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की सीट चंदौली, केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी की सीट महराजगंज, और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की सीट लखीमपुर खीरी में मतदान 60 प्रतिशत से अधिक रहा। इन चारों सीटों पर मतदान उन चरणों के औसत मतदान से अधिक रहा।

दिग्गजों की सीटों पर 60% से कम वोटिंग

 सीट- मतदान प्रतिशत 

लखनऊ- 52.28 
अमेठी- 54.34
रायबरेली- 58.12
फतेहपुर-57.09
सुल्तानपुर- 55.63
आजमगढ़- 56.77
वाराणसी- 56.34
मिर्जापुर- 57.72
मुजफ्फरनगर- 59.13

60 प्रतिशत से ऊपर मतदान

 सीट- मतदान प्रतिशत 

लखीमपुर खीरी- 64.68 
कन्नौज- 61.08 
महराजगंज- 61.79
चंदौली- 60.34

 

यहां यह देखा जा सकता है कि प्रमुख दिग्गज नेताओं की सीटों पर अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ, जो चिंता का विषय हो सकता है। इन सीटों पर जनता का अपेक्षित जोश नजर नहीं आया, जिससे इन नेताओं के चुनावी गणित पर असर पड़ सकता है। इसके विपरीत कुछ सीटों पर अच्छा मतदान दर्ज किया गया, जो उस क्षेत्र की जागरूकता और राजनीतिक उत्साह को दर्शाता है।

कम मतदान का असर चुनाव के नतीजों पर…

मतदान लोकतंत्र की नींव होता है और प्रत्येक वोट महत्वपूर्ण होता है। कम मतदान का असर चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है और इससे राजनीतिक संतुलन बदल सकता है। इसलिए जरूरी है कि जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले।
चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे जनता को जागरूक करने के प्रयास तेज करें और सुनिश्चित करें कि अधिक से अधिक लोग अपने मतदान के अधिकार का उपयोग करें। यह न केवल एक मजबूत लोकतंत्र की दिशा में कदम होगा, बल्कि इससे शासन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
कुल मिलाकर, इस बार के चुनावों में मतदान का प्रतिशत और जनता की भागीदारी के मामले में मिश्रित परिणाम देखने को मिले। जहां कुछ क्षेत्रों में अच्छी भागीदारी देखी गई, वहीं कुछ प्रमुख सीटों पर कम मतदान राजनीति में चिंता का विषय है।

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