हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को फर्रुखाबाद निवासी कुख्यात गैंगस्टर अनुराग दुबे के मामले में सख्त फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को अपनी शक्ति का आनंद लेने के बजाय संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए कि बिना अदालत की पूर्व अनुमति के आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाए।

इस मामले में कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। लेकिन सवाल यह है कि अनुराग दुबे कौन है और क्यों उसके खिलाफ इतने मुकदमे दर्ज हैं? इस लेख में हम जानेंगे अनुराग दुबे और उसके भाई अनुपम दुबे के अपराध साम्राज्य और इस केस से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में।

कौन है अनुराग दुबे उर्फ डब्बन?

अनुराग दुबे, जिसे लोग “डब्बन” के नाम से जानते हैं, फर्रुखाबाद जिले का कुख्यात गैंगस्टर है। उसके खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट, जालसाजी, और भूमि हड़पने जैसे गंभीर अपराधों के 50 से अधिक मामले दर्ज हैं। अनुराग के खिलाफ एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) और गुंडा एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो चुकी है। अनुराग का भाई अनुपम दुबे, जो बसपा नेता है, उस पर भी हत्या और कई अन्य गंभीर आरोप हैं। दोनों भाइयों ने मिलकर एक गैंग बनाया है, जो इलाके में दहशत फैलाने के लिए कुख्यात है। स्थानीय लोग इनकी दादागिरी के कारण खौफ में रहते हैं।

100 करोड़ का साम्राज्य

एक अनुमान के अनुसार, अनुराग और अनुपम दुबे का साम्राज्य 100 करोड़ रुपये से अधिक का है। यह संपत्ति मुख्य रूप से अवैध गतिविधियों और जमीन हड़पने से बनाई गई है। दोनों भाइयों का रसूख इतना बड़ा है कि इन्हें “बाहुबली माफिया” कहा जाता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यूपी पुलिस ने इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। इनकी संपत्तियों की कुर्की की जा रही है, और अनुपम दुबे फिलहाल मथुरा जेल में बंद है। वहीं, अनुराग दुबे कई महीनों से फरार है।

सुप्रीम कोर्ट में अनुराग दुबे का मामला

अनुराग दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए।

क्या है मामला?

अनुराग ने कोर्ट में दावा किया कि पुलिस उसे पूछताछ के बहाने परेशान कर रही है और उसकी जान को खतरा है। उसने यह भी आरोप लगाया कि अगर वह जांच में सहयोग करने के लिए पेश होता है, तो पुलिस उसके खिलाफ नए मामले दर्ज कर सकती है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस के रवैये को लेकर नाराजगी जताई और कहा:
– “आपका डीजीपी क्या कर रहा है? अगर आप रिपोर्ट दर्ज करेंगे, तो हम ऐसा आदेश देंगे जो आपको हमेशा याद रहेगा।”
– “आप एक ही व्यक्ति पर इतने मुकदमे कैसे दर्ज कर सकते हैं? समाज में और भी अपराधी हैं। सबकी जांच होनी चाहिए।”

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस बिना अदालत की अनुमति के अनुराग को किसी भी नए मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकती। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस आरोपी को समन या नोटिस मोबाइल फोन के जरिए दे।

अनुराग के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने अनुराग के खिलाफ कई स्तरों पर कार्रवाई की है।
1. संपत्ति कुर्की– पुलिस ने अनुराग की कई संपत्तियों को कुर्क किया है, जिनके बारे में दावा किया गया कि वे अवैध तरीकों से अर्जित की गई हैं।
2. गिरफ्तारी वारंट और नोटिस– जब अनुराग पुलिस की पकड़ में नहीं आया, तो उसके घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया गया।
3. भाई के खिलाफ कार्रवाई– उसके भाई अनुपम को पहले ही मथुरा जेल में रखा गया है, और पुलिस दोनों भाइयों पर सख्त नजर रख रही है।

अनुराग दुबे का अपराध साम्राज्य

मुख्य अपराध

– धोखाधड़ी और जालसाजी: अनुराग और उसके गैंग पर जमीन हड़पने और दस्तावेजों में हेराफेरी के कई आरोप हैं।
– मारपीट और धमकी: स्थानीय लोगों और व्यापारियों को धमकाकर पैसा वसूलना इसका मुख्य काम है।
– गैंग चलाना: दोनों भाइयों का गैंग फर्रुखाबाद और आसपास के जिलों में सक्रिय है।

कैसे बनता है ऐसा साम्राज्य?

अनुराग और उसके भाई ने अपने राजनीतिक संबंधों और दहशत के बल पर अपना साम्राज्य खड़ा किया। जमीनों पर कब्जा और अवैध वसूली इनके आर्थिक तंत्र का आधार है।

पुलिस और अदालत की भूमिका

इस मामले में अदालत ने यूपी पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाए हैं।
1. संवेदनशीलता की कमी: कोर्ट ने कहा कि पुलिस को संवेदनशील होकर काम करना चाहिए, न कि सिर्फ अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए।
2. प्रक्रिया में खामी: कोर्ट ने यह भी पूछा कि पुलिस आज के जमाने में आरोपी को पत्र के जरिए समन क्यों भेज रही है?हालांकि पुलिस ने इस गैंग के खिलाफ कई कार्रवाइयां की हैं, लेकिन अनुराग दुबे का फरार होना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला…

सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग दुबे को अग्रिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई हैं।
1. जांच में सहयोग करना होगा।
2. नए मामलों में गिरफ्तारी के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी।
3. पुलिस को संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा।

अनुराग दुबे और उसके भाई का मामला यूपी में कानून-व्यवस्था और अपराध पर चल रही बहस को एक नया मोड़ देता है। जहां एक ओर पुलिस ऐसे अपराधियों पर कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर अदालत ने पुलिस को संतुलित और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया है। यह मामला दिखाता है कि अपराधी चाहे जितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, न्यायपालिका और कानून के तहत उसे जवाब देना ही होगा। अनुराग दुबे का भविष्य क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह मामला यूपी में कानून व्यवस्था और अपराध से जुड़ी व्यवस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।

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