उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षा पद्धति और नीतियों को लेकर बीते चार दिनों से प्रयागराज में छात्र-छात्राएं आंदोलन कर रहे हैं। नौकरी की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले ये छात्र आयोग के नए फैसलों, विशेषकर परीक्षा को दो शिफ्ट में आयोजित करने और उसके तहत अंकों के नॉर्मलाइजेशन (Normalisation) के नियमों के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं। उनकी आशंका है कि नॉर्मलाइजेशन के नाम पर कुछ उम्मीदवारों के साथ पक्षपात हो सकता है, जिससे योग्य उम्मीदवारों के साथ न्याय नहीं हो पाएगा। छात्रों का यह भी तर्क है कि जब अन्य राज्यों में परीक्षाएं एक शिफ्ट में कराई जा सकती हैं, तो उत्तर प्रदेश में यह संभव क्यों नहीं है?
इस पूरे घटनाक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव छात्रों के पक्ष में उतर आए हैं। प्रयागराज में प्रदर्शनकारियों से एकजुटता दिखाते हुए अखिलेश ने ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ का नारा बुलंद किया और कहा कि “दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो मन को हिरासत में ले सके।” उनके इस बयान ने आंदोलन को और भी मजबूती दी है। अखिलेश ने अपने ट्वीट के माध्यम से भी भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा की अहंकारी सरकार ये महाभूल कर रही है कि वह आंदोलनकारी युवाओं के हक के लिए लड़े जा रहे लोकतांत्रिक आंदोलन को दबा सकेगी।”
प्रदर्शन के कारण और छात्रों की मांगें
छात्रों का मुख्य विरोध आयोग द्वारा परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित करने के निर्णय से है। उनका मानना है कि अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने से दोनों शिफ्टों में प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर में अंतर हो सकता है। इससे कुछ अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होने का खतरा है। छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के तहत अंकों में सुधार के नाम पर पिछली परीक्षाओं के दौरान धांधली देखी गई है, और यही आशंका उन्हें इस बार भी सता रही है। छात्रों का कहना है कि उन्हें अन्य राज्यों के मॉडल पर एक ही शिफ्ट में परीक्षा देने का मौका दिया जाए ताकि सभी उम्मीदवारों के साथ समानता सुनिश्चित की जा सके। उनका यह भी कहना है कि ‘वन नेशन, वन एग्जाम’ की तर्ज पर यूपीपीएससी को भी एक शिफ्ट में परीक्षा का आयोजन करना चाहिए। उनका मानना है कि अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा से सभी उम्मीदवारों के स्कोर का सही तुलनात्मक मूल्यांकन करना संभव नहीं होगा, जिससे नॉर्मलाइजेशन प्रणाली में पक्षपात की गुंजाइश रह जाती है।
प्रशासन और पुलिस का हस्तक्षेप
गुरुवार की सुबह छात्रों ने आरोप लगाया कि सादी वर्दी में पुलिस के कुछ लोग उनके धरना स्थल पर आए और लगभग 10-11 छात्रों को जबरदस्ती हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारियों में गुस्सा और भड़क गया है। छात्रों का दावा है कि उनके साथी अभी भी पुलिस की हिरासत में हैं, और इस कार्रवाई को आंदोलन को दबाने की कोशिश माना जा रहा है। प्रशासन ने अभी इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है, जिससे छात्रों का आक्रोश और भी बढ़ गया है। प्रदर्शन स्थल पर बातचीत के लिए प्रयागराज के डीएम और पुलिस कमिश्नर भी पहुंचे थे, लेकिन छात्रों और प्रशासन के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। बुधवार की रात और गुरुवार सुबह दोनों अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की कोशिश की, परंतु छात्रों की मांगें पूरी न होने के कारण यह वार्ता बेनतीजा रही।
अखिलेश यादव का समर्थन और राजनीति का असर
अखिलेश यादव का समर्थन आंदोलन को एक नया आयाम दे रहा है। उनकी मौजूदगी और समर्थन से छात्र आंदोलन को विपक्षी दलों की ओर से एक सशक्त आवाज मिली है। अखिलेश यादव ने कहा कि आंदोलन तन से नहीं बल्कि मन से लड़े जाते हैं, और ऐसी कोई ताकत नहीं है जो मन को हिरासत में ले सके। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि सपा उनके साथ है और यह लड़ाई लोकतांत्रिक ढंग से लड़ी जाएगी। सपा प्रमुख का यह बयान भाजपा सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने इस आंदोलन को केवल एक विरोध तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि इसे छात्रों के अधिकारों के संघर्ष के रूप में पेश किया। भाजपा के विरोधी नेताओं का यह भी आरोप है कि जो पार्टी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात करती है, वह एक साथ परीक्षा आयोजित करने में असमर्थ क्यों है?
प्रशासन की चुनौतियां और समाधान की संभावना
शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के कारण यूपीपीएससी कार्यालय बंद रहेगा, और इसके बाद शनिवार और रविवार का अवकाश है। ऐसे में प्रदर्शन के अगले कदम को लेकर छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव बरकरार है। आयोग के भीतर सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए तीन दिनों की छुट्टी के दौरान कुछ सकारात्मक निर्णय लेने की संभावना पर विचार किया है। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के निर्णय से छात्रों का गुस्सा कम किया जा सकता है और स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है।
नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा और छात्रों की आशंकाएं
छात्रों का सबसे बड़ा विरोध नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर है। इस प्रणाली के तहत, विभिन्न शिफ्टों में दिए गए परीक्षा परिणामों को सामान्य किया जाता है ताकि सभी अभ्यर्थियों के प्रदर्शन का निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके। हालांकि, छात्रों का मानना है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा सकता है, जिससे नतीजों में पारदर्शिता की कमी हो सकती है। उनका यह भी कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इस प्रणाली के कारण कुछ अयोग्य उम्मीदवारों को चयन में लाभ मिला है। छात्रों का मानना है कि एक साथ परीक्षा आयोजित कर नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को समाप्त किया जा सकता है। इससे सभी उम्मीदवार एक समान प्रश्न पत्र के आधार पर मूल्यांकन कर पाएंगे और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी। आयोग और सरकार ने अभी तक इस मांग पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे छात्र असंतुष्ट हैं।
यूपीपीएससी का रुख और आगे की संभावनाएं
यूपीपीएससी की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि परीक्षा आयोग आंदोलन को खत्म करने के लिए छात्रों की मांगों पर विचार कर सकता है। यह भी संभव है कि परीक्षा आयोजन के तरीके में कुछ बदलाव किए जाएं ताकि सभी उम्मीदवारों को संतोषजनक समाधान मिल सके। आयोग और प्रशासन के पास यह अवसर है कि वे छात्रों की मांगों को ध्यान में रखकर उन्हें भरोसे में लें और नीतियों में सुधार करें। इससे न केवल छात्रों का विश्वास बहाल होगा, बल्कि भविष्य में इस तरह के विवादों से बचने में भी मदद मिलेगी।
यह आंदोलन यूपीपीएससी की परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठा रहा है। छात्रों की मांगों और सरकार की प्रतिक्रिया का यह मामला एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे में बदलता जा रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का समर्थन छात्रों को राजनीतिक शक्ति और मनोबल प्रदान कर रहा है। सरकार और यूपीपीएससी के लिए यह आवश्यक है कि वे छात्रों के सवालों का गंभीरता से उत्तर दें और यह सुनिश्चित करें कि उनके हक की लड़ाई बिना किसी दबाव के सुनी जाए। इस आंदोलन से स्पष्ट है कि छात्रों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, और वे अब अपनी मांगों को लेकर अधिक मुखर और संगठित हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से यदि सही कदम उठाए जाते हैं, तो यह घटना यूपीपीएससी की छवि सुधारने में सहायक हो सकती है।