उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का माहौल गरम है, जहां 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव ने सियासी घमासान तेज कर दिया है। इस चुनावी रण में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच बयानबाजी का दौर चल रहा है। मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट पर चुनावी सभा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा पर तीखा हमला बोलते हुए ऐसा बयान दिया, जिसने दोनों दलों के बीच विवाद को और गहरा कर दिया। योगी आदित्यनाथ के इस बयान का सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर करारा जवाब दिया है।
सीएम योगी का सपा पर हमला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए सपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने सपा के कार्यकर्ताओं पर तंज कसते हुए कहा, “जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई।” इस बयान के माध्यम से उन्होंने सपा की छवि को लेकर कटाक्ष किया और उनकी सरकार के दौरान प्रदेश में कथित तौर पर बढ़ी अपराध की घटनाओं का जिक्र किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2012 से 2017 तक सपा सरकार के दौरान जनता ने “जिस गाड़ी में सपा का झंडा, समझो उसमें बैठा…” जैसे नारों को देखा है, जो उस दौर की कानून-व्यवस्था की स्थिति को दर्शाता है।
सपा पर लगे गंभीर आरोप और पुरानी घटनाओं का जिक्र
योगी आदित्यनाथ ने इस जनसभा में सपा के खिलाफ अपने हमले को और तीखा करते हुए मुजफ्फरनगर दंगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय सपा सरकार के मुखिया ने कथित तौर पर दंगाईयों को अपने आवास पर सम्मानित किया था, और उन्हें इस बात का कोई खेद नहीं था। उन्होंने सपा नेताओं पर धर्म के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का हवाला देते हुए योगी ने कहा कि यहां के किसान अपनी मेहनत से प्रदेश को समृद्ध बना रहे हैं, जबकि सपा उन पर राजनीति कर रही है।
अखिलेश यादव का पलटवार….
सीएम योगी के इस बयान के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जवाब दिया। अखिलेश ने लिखा, “डरे हुए इंसान की सबसे बड़ी पहचान होती है उसकी नकारात्मक बातें। जिनके पास अपनी कोई उपलब्धि नहीं होती, वो दूसरों पर कटाक्ष करते हैं। नकली मुस्कान से सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती।” अखिलेश ने यह भी दावा किया कि उपचुनाव में बीजेपी की “सौ की सौ” सीटें हारने वाली हैं और सभी 9 सीटों पर सपा की जीत होगी। अखिलेश के इस बयान से स्पष्ट है कि उन्होंने योगी के बयान को बीजेपी की असफलताओं के संकेत के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की। उनका कहना है कि बीजेपी के पास अपने कार्यकाल की कोई ठोस उपलब्धि नहीं है और इसलिए वह नकारात्मकता और विरोधी पार्टियों पर हमलों का सहारा ले रही है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन पर योगी का व्यंग्य…
योगी आदित्यनाथ ने अपनी जनसभा में सपा-कांग्रेस गठबंधन पर भी व्यंग्य कसा। उन्होंने कहा कि इन दोनों पार्टियों में “खटपट” शुरू हो गई है। उन्होंने “खटाखट-खटाखट” जैसे शब्दों का उपयोग कर दोनों पार्टियों के रिश्ते की अस्थिरता पर तंज कसा। योगी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ने गठबंधन किया था, लेकिन अब उनके बीच तनाव के हालात हैं। इसके साथ ही उन्होंने सपा को निशाना बनाते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों में शामिल आरोपी को टिकट देकर सपा ने अपनी असलियत दिखा दी है।
चुनावी माहौल में आरोप-प्रत्यारोप का दौर
उत्तर प्रदेश की राजनीति में चुनावी माहौल में आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर कोई नई बात नहीं है। बीजेपी और सपा दोनों ही अपने-अपने समर्थकों को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ अपने भाषणों में प्रदेश में कानून-व्यवस्था और विकास कार्यों का जिक्र कर रहे हैं, तो वहीं अखिलेश यादव बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाते हुए जनता को सपा के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं। बीजेपी का जोर प्रदेश में सुरक्षा और विकास के मुद्दों पर है। योगी आदित्यनाथ यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण पाया है और सपा सरकार के कार्यकाल में बढ़ते अपराध को रोकने में असमर्थ थी। दूसरी ओर, अखिलेश यादव इस चुनाव में बीजेपी के कार्यकाल की असफलताओं को उजागर कर रहे हैं और उन्हें यह दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं कि प्रदेश की जनता बीजेपी से नाखुश है।
चुनावी नतीजों पर असर डाल सकते हैं बयान
योगी और अखिलेश के इन बयानों का असर उपचुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों से सपा की छवि पर असर पड़ने की संभावना है, खासकर ग्रामीण और धार्मिक क्षेत्रों में। वहीं, अखिलेश यादव द्वारा बीजेपी पर कड़ा प्रहार करके वह अपने समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता से वह यह संदेश देना चाहते हैं कि सपा बीजेपी का मजबूत विकल्प है। हालांकि, इन चुनावों में यह देखना होगा कि क्या सपा और बीजेपी के बीच की इस सियासी जंग से किसी तीसरी पार्टी को भी फायदा होगा। कांग्रेस और अन्य दल भी अपने मुद्दों को सामने रखते हुए चुनावी मैदान में हैं, और यह संभावना है कि इनमें से कुछ सीटों पर नतीजे अप्रत्याशित हो सकते हैं।
जनता का रुख और चुनावी परिणाम
यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव में जनता का रुख निर्णायक साबित होगा। जनता के बीच अब यह देखना है कि क्या वे योगी के सपा पर लगाए आरोपों को मानते हैं या अखिलेश की बीजेपी पर नकारात्मकता का तंज उनके मन पर असर डालता है। उपचुनाव के नतीजे न केवल प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेंगे बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी यह संकेत देंगे कि प्रदेश में किस दल की पकड़ मजबूत है। समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच इस तकरार से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में सत्ता की लड़ाई में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है। जनता के सामने ये दोनों पार्टियां खुद को सबसे बेहतर साबित करने में लगी हुई हैं। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस राजनीतिक रण में कौन विजयी होगा और किसका प्रभाव प्रदेश की जनता पर अधिक दिखाई देगा।