वायु प्रदूषण से संबंधित हालिया रिपोर्ट
हाल ही में मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत के 10 प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण के कारण रोजाना औसतन 7.2 फीसदी मौतें हो रही हैं। इन शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, कोलकाता, शिमला और वाराणसी शामिल हैं। इस रिपोर्ट के बाद यह सवाल उठता है कि वायु प्रदूषण कैसे लोगों की जान ले सकता है और यह किन अंगों को प्रभावित करता है।
वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और कैंसर सर्जन डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि वायु प्रदूषण जन्म से लेकर जीवन के अंतिम दिन तक इंसान पर प्रभाव डालता है। जब कोई व्यक्ति मां के गर्भ में होता है, तभी से वायु प्रदूषण का असर उसके शरीर पर होने लगता है। प्रदूषण के कण गर्भवती महिला के सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और प्लेसेंटा की सुरक्षा को पार करते हुए भ्रूण के अंगों में भी जगह बना लेते हैं। यह कण बच्चे के शरीर में चले जाते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि वायु प्रदूषण शरीर के कई अंगों पर एक साथ असर करता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है, जिससे लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण के कारण नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। हर साल कई ऐसे केस सामने आते हैं जिनमें स्मोकिंग का कोई इतिहास नहीं होता, फिर भी लोग लंग कैंसर का शिकार हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण ही है। वायु प्रदूषण का असर हृदय पर भी पड़ता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषण में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और ब्लड में भी जा सकते हैं। इससे हृदय की आर्टरीज में सूजन आने के साथ-साथ ब्लॉकेज की समस्या भी हो सकती है, जो बाद में हार्ट अटैक का कारण बनती है। वायु प्रदूषण डायबिटीज और बांझपन जैसी बीमारियों का भी कारण बनता है।
किन लोगों पर ज्यादा असर?
डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि वायु प्रदूषण का असर हर व्यक्ति पर होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों पर इसका असर ज्यादा होता है। प्रदूषण सांस की कई बीमारियों का कारण बनता है, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज)। ये तीनों ही सांस की खतरनाक बीमारियां हैं और बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी पर असर करती हैं। यदि किसी को पहले से ही अस्थमा है तो प्रदूषण के संपर्क में आने से यह बीमारी काफी बढ़ जाती है।
वायु प्रदूषण को कैसे करें कंट्रोल?
दिल्ली के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एलएच घोटकर बताते हैं कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी नीति बनानी होगी। पैट्रोल और डीजल वाहनों का उपयोग कम करना होगा। जिन कंपनियों से प्रदूषण होता है, वहां पर भी इसकी रोकथाम के लिए काम करने की जरूरत है। प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए लोगों और सरकार को मिलकर काम करना होगा। वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके अलावा, यह गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। सरकार और जनता को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा, ताकि हम एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में जी सकें।