पंडित प्रदीप मिश्रा, जो सिहोर वाले पंडित जी के नाम से मशहूर हैं, हाल ही में बरसाना में हुए एक विवाद के केंद्र में रहे। इस विवाद का मुख्य कारण उनकी एक विवादित टिप्पणी थी, जो उन्होंने राधा रानी पर की थी। इस टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ ब्रज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विरोध देखने को मिला था। इस विरोध ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि संतों और महंतों की एक महापंचायत में यह फैसला लिया गया कि पंडित मिश्रा को तब तक ब्रज के किसी मंदिर में आने नहीं दिया जाएगा, जब तक वे नाक रगड़कर माफी नहीं मांगेंगे।
महापंचायत के इस कठोर फैसले के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा शनिवार को बरसाना पहुंचे। वहां उन्होंने राधारानी जी के सामने दंडवत प्रणाम कर माफी मांगी। लेकिन इस दौरान उन्हें भारी भीड़ का सामना करना पड़ा, जिसमें उनके साथ बदसलूकी और अभद्र व्यवहार किया गया। भीड़ ने उनका पटका खींचा और धक्का-मुक्की की। इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गईं, जिसमें लोग ‘नाक रगड़वाओ’ के नारे लगाते नजर आए। मंदिर में हुए इस घटनाक्रम के बाद पंडित मिश्रा ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “मैं यहां श्री राधा रानी के चरणों में आया हूं। मुझे महारानी ने बुलाया है और इसी लिए मैं यहां आया। मैं राधा रानी से और सभी ब्रजवासियों से माफी मांगता हूं अगर मेरे शब्दों से उन्हें ठेस पहुंची हो तो। मैं किशोरी जी से माफी मांगता हूं।”
पंडित प्रदीप मिश्रा, जो शिव जी के अनन्य भक्त हैं और…
पंडित प्रदीप मिश्रा, जो शिव जी के अनन्य भक्त हैं और कथावाचक के रूप में जाने जाते हैं, ने एक बयान में कहा था कि राधा रानी असल में रावल गांव की रहने वाली थीं और वह बरसाना साल में बस एक ही बार जाती थीं, जहां उनके पिता की कोर्ट लगती थी। उन्होंने यह भी कहा था कि राधा रानी का नाम भगवान कृष्ण की रानियों में कहीं नहीं था और राधा रानी का पति अनय घोष था। उनकी सास थी जटिला और ननद थी कुटिला। पंडित मिश्रा की इस टिप्पणी ने ब्रज क्षेत्र में भारी विरोध उत्पन्न कर दिया। इस विवादित टिप्पणी के बाद वृंदावन के प्रेमानंद महाराज ने अपनी नाराजगी जताई थी। उन्होंने पंडित मिश्रा की टिप्पणी को अस्वीकार्य बताते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इस मुद्दे ने इतना तूल पकड़ा कि संतों और महंतों ने महापंचायत बुलाकर पंडित मिश्रा के खिलाफ कठोर फैसला लिया।
पंडित मिश्रा ने माफी मांगते हुए कहा….
बरसाना में हुए इस घटनाक्रम के बाद पंडित मिश्रा ने माफी मांगते हुए कहा, “मैं राधा रानी से माफी मांगता हूं और उनके चरणों में नतमस्तक होता हूं। अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूं।” पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ हुए इस अभद्र व्यवहार के बाद यह मुद्दा और गंभीर हो गया है। इस घटना ने धार्मिक समुदायों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। संतों और महंतों ने पंडित मिश्रा की माफी को स्वीकार किया या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस घटना ने धार्मिक समुदायों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
पंडित मिश्रा की इस माफी के बाद….
पंडित मिश्रा ने अपने बयान में राधा रानी के जीवन के तथ्यों पर सवाल उठाए थे, जो कि ब्रजवासियों और धार्मिक समुदायों के लिए बहुत ही संवेदनशील विषय है। उनके बयान ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और इस कारण उनके खिलाफ इतना बड़ा विरोध खड़ा हुआ। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक विषयों पर बयान देने से पहले लोगों को उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और विवादास्पद टिप्पणियों से बचना चाहिए। पंडित मिश्रा की इस माफी के बाद भी यह देखना बाकी है कि ब्रजवासी और धार्मिक समुदाय उनके प्रति क्या रुख अपनाते हैं। इस विवाद ने धार्मिक संतुलन को हिलाकर रख दिया है और इससे जुड़े सभी लोगों को एक बार फिर से धार्मिक सद्भावना और सहिष्णुता की जरूरत है।