हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के भीतर आत्ममंथन का दौर शुरू हो गया है। चुनाव परिणाम आने के बाद अब पार्टी नेतृत्व हार के कारणों की समीक्षा में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में 9 अक्टूबर 2024 को कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर एक अहम बैठक बुलाई गई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए। इस समीक्षा बैठक में कांग्रेस के शीर्ष नेता और हरियाणा के प्रमुख नेता शामिल हुए, और हार के पीछे के कारणों पर विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में राहुल गांधी ने चुनावी नतीजों को लेकर पार्टी नेताओं पर खुलकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान नेताओं ने अपने व्यक्तिगत हितों को पार्टी के हितों से ऊपर रखा, जिससे कांग्रेस को चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ। बैठक में हार की समीक्षा करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव में पार्टी हित पर नेताओं के निजी स्वार्थ हावी रहे, जिसके चलते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

राहुल गांधी- पार्टी हित से ऊपर निजी स्वार्थ

राहुल गांधी ने इस बैठक के दौरान पार्टी के नेताओं की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “पूरा चुनाव इस बात से प्रभावित हुआ कि हमारे नेताओं ने अपने व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता दी और पार्टी का हित दूसरे नंबर पर रखा।” उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि चुनावी परिणाम इसलिए निराशाजनक रहे क्योंकि पार्टी के अंदर अनुशासन और एकजुटता की कमी दिखी। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने बैठक में यह भी कहा कि पार्टी के हितों की उपेक्षा करने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में पार्टी के सिद्धांत और अनुशासन सर्वोपरि रहें, ताकि ऐसी स्थिति फिर से न आए।

फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठन होगा

बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि हार के कारणों का गहन विश्लेषण जरूरी है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में एक ‘फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी’ का गठन करने का निर्णय लिया गया। इस कमेटी का काम चुनाव परिणामों की विस्तृत जांच करना और पार्टी नेताओं की भूमिका का मूल्यांकन करना होगा। यह कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और उसमें पार्टी की रणनीति, संगठन में कमियों, और क्षेत्रीय नेताओं की जिम्मेदारी की समीक्षा की जाएगी। पार्टी के नेतृत्व ने यह भी साफ कर दिया कि इस रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिससे पार्टी की स्थिति को मजबूती दी जा सके।

अजय माकन- ‘नतीजे अप्रत्याशित रहे’

बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि चुनावी नतीजे चौंकाने वाले और अप्रत्याशित रहे। उन्होंने कहा, “आज की बैठक में हमने हरियाणा में हार के कारणों पर विचार किया। हमारा विश्लेषण जारी रहेगा और आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, इसके बारे में जल्द ही पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल जानकारी देंगे।” इस बयान से साफ है कि कांग्रेस नेतृत्व हार से गहरा चिंतित है और पार्टी के भीतर सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव में पार्टी की रणनीति और संगठनात्मक ढांचे की कमजोरी को सुधारने के लिए अब सख्त कदम उठाए जाएंगे।

कुछ प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति पर सवाल

समीक्षा बैठक में हरियाणा के कुछ प्रमुख नेता, जैसे कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, और कैप्टन अजय यादव, अनुपस्थित थे। इस पर भी चर्चा हुई कि इन नेताओं को क्यों नहीं बुलाया गया। हालाँकि, पार्टी ने स्पष्ट किया कि यह बैठक उन नेताओं के साथ की गई जो सीधे तौर पर चुनाव अभियान का हिस्सा थे और जिन्होंने चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभाई थी। सूत्रों का कहना है कि भविष्य में सभी नेताओं के साथ मिलकर विचार-विमर्श किया जाएगा, ताकि पार्टी को एकजुट किया जा सके और आगे के चुनावों में मजबूत रणनीति बनाई जा सके।

ईवीएम पर उठे सवाल…

इससे पहले, राहुल गांधी ने हरियाणा के चुनाव परिणामों को लेकर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर टिप्पणी की और कहा कि कांग्रेस चुनाव आयोग से इस बारे में बातचीत करेगी। राहुल गांधी ने कहा, “हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों को चुनाव आयोग को सूचित किया जाएगा।” राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में हरियाणा के लोगों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का धन्यवाद देते हुए कहा कि “हक, सामाजिक और आर्थिक न्याय” की लड़ाई जारी रहेगी। यह बयान संकेत देता है कि कांग्रेस नेतृत्व हार को लेकर गंभीर है और चुनाव आयोग से इस पर औपचारिक शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहा है।

बीजेपी की जीत और कांग्रेस की असफलता

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया, जबकि कांग्रेस केवल 37 सीटें जीत पाई। दस साल से सत्ता में रही बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद कांग्रेस इस लहर का फायदा उठाने में नाकाम रही। कांग्रेस की हार ने पार्टी के अंदर गहरी चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि इस चुनाव में कांग्रेस को मजबूत स्थिति में माना जा रहा था। इसके बावजूद, पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिससे पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े हो गए हैं। इनेलो ने दो सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव में जीत दर्ज की। हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है, जिससे बीजेपी की स्थिति और भी मजबूत हो गई है।

अब कांग्रेस के सामने चुनौती….

अब कांग्रेस के सामने चुनौती यह है कि वह अपने संगठन को कैसे पुनर्गठित करे और आगे के चुनावों के लिए खुद को तैयार करे। पार्टी नेतृत्व हार की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही पार्टी में बड़े बदलाव हो सकते हैं। राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि पार्टी के नेताओं को व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर काम करना होगा, और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में कांग्रेस अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव कर सकती है, ताकि पार्टी को मजबूती मिले और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने पार्टी के भीतर आत्ममंथन की स्थिति पैदा कर दी है। राहुल गांधी की सख्त नाराजगी से यह साफ है कि पार्टी के नेताओं को अब अपनी प्राथमिकताओं को बदलना होगा और निजी स्वार्थों को पार्टी हित से ऊपर नहीं रखना चाहिए। कांग्रेस के लिए यह समय है कि वह अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करे और नेताओं को एकजुट करके आगे बढ़े। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पार्टी अब अपनी हार के कारणों का गहन विश्लेषण कर रही है, और उम्मीद है कि भविष्य में कांग्रेस अपने प्रदर्शन में सुधार करेगी।

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