समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में एक बड़ी सफलता हासिल की है। प्रख्यात समाजवादी डॉ. राममनोहर लोहिया की जन्मस्थली अकबरपुर (अब अंबेडकरनगर) में पहली बार लोकसभा के सामान्य चुनाव में सपा का परचम लहरा उठा। सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा ने इस ऐतिहासिक जीत को अपने कुशल नेतृत्व और चुनावी रणनीति से संभव बनाया। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और महासचिव शिवपाल यादव के दौरे के अलावा, लालजी वर्मा ने अन्य ताम झाम पर जोर नहीं दिया और सिर्फ मतदाताओं व कार्यकर्ताओं को सहेजने में जुटे रहे। इस जीत के साथ ही दशकों से चला आ रहा संसदीय चुनाव का सूखा भी समाप्त हो गया।



लालजी वर्मा की रणनीति और मेहनत

लालजी वर्मा ने शुरू से ही चुनाव अभियान की कमान स्वयं संभाली। उनके प्रभावी अंदाज और सटीक रणनीति ने उन्हें मतदाताओं के दिल में जगह दिलाई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और महासचिव शिवपाल यादव के सीमित दौरे ने भी इस चुनावी सफलता में अहम भूमिका निभाई। लालजी वर्मा ने बसपा में रहते हुए संगठन का काम करने की अपनी क्षमता को सपा में भी प्रभावी रूप से लागू किया। उन्होंने आम लोगों से यह कहकर भावनात्मक अपील भी की कि यह उनका अंतिम चुनाव हो सकता है, जिससे मतदाताओं में उनकी प्रति सहानुभूति और बढ़ गई।

लोहिया की धरती पर समाजवादी परचम

डॉ. राममनोहर लोहिया का जन्म अकबरपुर में हुआ था, और उनके नाम पर यहां बहुउद्देशीय लोहिया भवन की स्थापना के साथ ही दो अलग-अलग स्थानों पर आदमकद प्रतिमा भी स्थापित की गई। जिले का नामकरण भले ही बसपा सरकार ने बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर कर दिया, लेकिन सपा ने लोहिया के नाम पर कई काम कराए। इसके बावजूद, यहां लोकसभा के सामान्य चुनाव में सपा को कभी जीत नसीब नहीं हुई थी।

पहले के चुनावी परिणाम

लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी शंखलाल मांझी को एक बार जीत मिली थी, जब यह सीट अकबरपुर सुरक्षित के नाम से थी। लेकिन इसके बाद सपा को बार-बार हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 में परिसीमन के बाद अंबेडकरनगर सामान्य लोकसभा सीट के गठन के बाद, सपा प्रत्याशी बसपा के राकेश पांडेय से हार गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के राममूर्ति वर्मा तीसरे स्थान पर रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने गठबंधन के चलते बसपा प्रत्याशी रितेश पांडेय का समर्थन किया था।

मौजूदा चुनाव में लालजी वर्मा की भूमिका

इस बार के चुनाव में, लालजी वर्मा ने सपा की तरफ से शुरुआत से ही प्रभावी चुनाव अभियान चलाया। उन्होंने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं को संगठित और प्रेरित करने पर जोर दिया। उनके प्रभावी नेतृत्व और संगठन कौशल ने उन्हें इस बार जीत दिलाई। सपा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे लालजी वर्मा ने आम लोगों से भावनात्मक अपील की, जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हुई।
लालजी वर्मा की इस सफलता ने न केवल सपा को एक महत्वपूर्ण जीत दिलाई, बल्कि डॉ. राममनोहर लोहिया की धरती पर दशकों से चला आ रहा संसदीय चुनाव का सूखा भी समाप्त कर दिया। इस जीत से सपा के समर्थकों में नए उत्साह का संचार हुआ है और यह दिखाता है कि सही रणनीति और मेहनत से किसी भी चुनावी बाधा को पार किया जा सकता है।

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