लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान हर चरण में चुनाव की कहानी और मुद्दे बदलते रहे। सियासी हमलों और बदलती रणनीतियों ने चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया। आइए, जानते हैं किस चरण में कौन से मुद्दे हावी रहे और कैसे चुनावी नतीजे प्रभावित हुए।



 पहला चरण: 19 अप्रैल
21 राज्य, 102 सीटें

मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र…भाजपा को झटका

चुनाव की शुरुआत में कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने पर काफी गहमागहमी मची। इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता और यूसीसी के विरोध को भाजपा ने तुरंत मुद्दा बना लिया और इसे मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र करार दिया। कांग्रेस ने इसके जवाब में चुनावी बॉन्ड में कथित हेरफेर को मुद्दा बनाया। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में यूसीसी और एक देश एक चुनाव की प्रतिबद्धता जताई, जिसे कांग्रेस ने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया। इस चरण में 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान हुआ। भाजपा की सीटें 37 से घटकर 30 पर आ गईं, जबकि कांग्रेस और इंडी गठबंधन को बड़ा लाभ हुआ और उनकी सीटें 14 से बढ़कर 53 हो गईं।

 दूसरा चरण: 26 अप्रैल
13 राज्य, 89 सीटें

मंगलसूत्र छीन लेंगे…भाजपा की हार

भाजपा ने दूसरे चरण में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटा देने का मुद्दा उठाया और कांग्रेस के घोषणा पत्र में संपत्ति के समान वितरण के वादे को आरक्षण में मुस्लिम कोटे से जोड़ा। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के विरासत कर संबंधी सुझाव भी अहम मुद्दा बने। पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के संसाधनों पर मुसलमानों के पहले हक को भी मुद्दा बनाया। भाजपा को इस चरण में एक सीट का नुकसान हुआ और उसकी सीटें 48 से घटकर 47 रह गईं। कांग्रेस और गठबंधन की सीटें 17 से बढ़कर 27 हो गईं।



तीसरा चरण: 7 मई
12 राज्य, 94 सीटें

संविधान पर वार-पलटवार

तीसरे चरण में 12 राज्यों की 94 सीटों पर चुनाव हुआ। भाजपा और कांग्रेस के बीच संविधान के सवाल पर वार-पलटवार हुआ। पीएम मोदी ने ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटा का मुद्दा उठाया और कांग्रेस को सत्ता में आने पर संविधान के खिलाफ जाकर मुस्लिम कोटा लागू नहीं करने की चुनौती दी। कांग्रेस ने भाजपा पर संविधान और आरक्षण की व्यवस्था को ध्वस्त करने की साजिश का आरोप लगाया। इस चरण में भाजपा को 16 सीटों का नुकसान हुआ।

 चौथा चरण: 13 अप्रैल
10 राज्य, 96 सीटें

अय्यर, पित्रोदा और पाकिस्तान के तीर

चौथे चरण में 13 मई को 10 राज्यों की 96 सीटों पर वोट पड़े। मणिशंकर अय्यर और सैम पित्रोदा के बयानों से कांग्रेस को नुकसान हुआ। अय्यर ने पाकिस्तान के परमाणु शक्ति संपन्न होने की दलील देते हुए सरकार को उसे सम्मान देने की नसीहत दी, जबकि पित्रोदा ने कहा कि भारत में पूर्व के लोग चीनी जैसे, दक्षिण के लोग अफ्रीकी जैसे, पश्चिम के अरबी और उत्तर भारत के ब्रिटिश जैसे लगते हैं। भाजपा के तीखे हमले के बीच कांग्रेस को पित्रोदा का इस्तीफा लेना पड़ा और अय्यर से दूरी बनानी पड़ी। इस चरण में भाजपा को सिर्फ तीन सीटों का नुकसान हुआ।

पांचवां चरण: 20 मई
आठ राज्य, 49 सीटें

राममंदिर पर भाजपा का दांव उल्टा

पांचवें चरण में 8 राज्यों की 49 सीटों पर वोट पड़े। भाजपा ने सीएए पर दांव लगाया और राममंदिर का मुद्दा उठाया। इसके बावजूद, अयोध्या में सपा प्रत्याशी जीत गए। भाजपा को इस चरण में नुकसान हुआ और सपा को सात सीटें मिलीं। केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के सहारे विपक्ष ने मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को मुद्दा बनाया। आप की राज्यसभा सांसद मालीवाल के साथ सीएम आवास में कथित मारपीट भी चर्चा का विषय रही।

 छठा चरण: 25 मई
सात राज्य, 58 सीटें

महिला सुरक्षा और आरक्षण का मुद्दा

छठे चरण में 8 राज्यों की 58 सीटों पर मतदान हुआ। इस चरण में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल के साथ मारपीट के कारण महिला सुरक्षा मुद्दा बना। भाजपा ने इस मुद्दे को उठाकर दिल्ली की सभी सात सीटें जीत लीं। कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द करने के बाद भाजपा ने आरक्षण में मुस्लिम कोटा के सवाल पर कांग्रेस को घेरा। कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने एक बार फिर संविधान पर खतरे की बात दुहराई। चुनाव आयोग ने दोनों पार्टियों को सख्ती से नसीहत दी।

सातवां चरण: 1 जून
8 राज्य, 57 सीटें

भ्रष्टाचार का मुद्दा

अंतिम चरण में 7 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश की 57 सीटों पर मतदान हुआ। पीएम मोदी की चुनाव बाद तेजस्वी समेत सभी भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजने की चेतावनी पर जमकर जुबानी जंग हुई। भाजपा ने शरणार्थियों को नागरिकता देने का मुद्दा भी उठाया, लेकिन इसका बहुत फायदा नहीं हुआ। बंगाल में तृणमूल और कांग्रेस को फायदा हुआ। मतदान से एक दिन पहले पीएम मोदी का कन्याकुमारी में ध्यान लगाना भी चर्चा का विषय बना। विपक्ष ने चुनाव आयोग से इसका प्रसारण मीडिया में नहीं करने की अपील की, हालांकि इसका कुछ खास असर भाजपा के पक्ष में नहीं हुआ।
लोकसभा चुनाव 2024 के सात चरणों में हर बार अलग-अलग मुद्दे हावी रहे। भाजपा और कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों का इस्तेमाल किया, लेकिन हर चरण में अलग-अलग नतीजे सामने आए। गठबंधन सरकार की चुनौती, बदलते मुद्दे और रणनीति के अनुसार सियासी हमलों ने चुनावी माहौल को बेहद दिलचस्प बना दिया।

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