उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में सपा और कांग्रेस ने बाजी पलटते हुए शानदार प्रदर्शन किया है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस चुनाव में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। आइए जानते हैं सपा के इस प्रदर्शन के मायने, इसकी वजहें, और पिछले चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा था।

सपा के इस प्रदर्शन के मायने

2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में करीब 38 सीटें जीतने का अनुमान है, जबकि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 31 सीटें मिलने के आसार हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन कुल मिलाकर 45 सीटें जीत सकता है। यह रुझान नतीजों में बदलता है, तो यह स्पष्ट होगा कि सपा और कांग्रेस को गठबंधन का बड़ा फायदा मिला है। इससे उत्तर प्रदेश में विपक्ष में नया आत्मविश्वास आएगा और राज्य सरकार की नीतियों और फैसलों के खिलाफ विपक्ष और आक्रामक हो सकेगा।

सपा और कांग्रेस की सीटें बढ़ने की वजहें

सपा और कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की एक बड़ी वजह उत्तर प्रदेश में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का वोट शेयर घटना रहा। कभी बसपा का करीब 20 फीसदी वोट बैंक था जो पूरी तरह उसके साथ रहता था, लेकिन इस चुनाव में यह घटकर नौ फीसदी के करीब रह गया। दलित वोटों का बसपा से दूर होना और सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर जाना इसकी एक बड़ी वजह रही। मुस्लिम वोटों का भी एकमुश्त सपा-कांग्रेस गठबंधन को मिलना इस गठबंधन को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

सपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

वोट शेयर के लिहाज से सपा का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। 2004 में पार्टी ने 35 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर 26.74 फीसदी था। 1998 में पार्टी ने 28.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 20 सीटें जीती थीं। इस बार सपा को 33 फीसदी से ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं, जबकि कांग्रेस को 10 फीसदी से ज्यादा वोट मिल सकते हैं। इस हिसाब से सपा-कांग्रेस गठबंधन को कुल मिलाकर 43 फीसदी से ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं।

 सपा का पिछला प्रदर्शन

अक्तूबर 1992 में समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। पार्टी ने पहला लोकसभा चुनाव 1996 में लड़ा, जिसमें उसे उत्तर प्रदेश में 16 सीटें मिलीं और 20.84% वोट मिले। 1998 में सपा का जनाधार बढ़ा और उसे 28.7% वोट के साथ 20 सीटें मिलीं। 1999 के चुनाव में सपा का वोट शेयर 24.06% रहा और 26 सांसद जीते। 2004 में सपा ने 26.74% वोट के साथ 35 सीटें जीतीं। 2009 में सपा को 23.26% वोट और 23 सीटें मिलीं। 2014 में पार्टी को सिर्फ पांच सीटें मिलीं और वोट शेयर 22.18% रहा। 2019 के चुनाव में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन उसे केवल पांच सीटें मिलीं और वोट शेयर 17.96% रहा, जो अब तक का सबसे कम था।

 नतीजों के प्रभाव

इन नतीजों से यह साफ होता है कि सपा और कांग्रेस का गठबंधन सफल रहा। सपा का जनाधार मजबूत हुआ और उसे यूपी में सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। कांग्रेस को भी गठबंधन का फायदा मिला। इस गठबंधन ने भाजपा के मुकाबले में मजबूती दिखाई और विपक्ष को नई ताकत दी। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह बदलाव महत्वपूर्ण है और आने वाले समय में इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। विपक्ष के आक्रामक होने से राज्य सरकार पर दबाव बढ़ेगा और नीति-निर्माण में भी बदलाव देखे जा सकते हैं।इन नतीजों के साथ सपा और कांग्रेस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि रणनीतिक गठबंधन और मजबूत जनाधार के साथ बड़े बदलाव संभव हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह नया अध्याय लिखा जा चुका है, और आगे की राजनीति को ध्यान से देखना होगा कि यह परिवर्तन किस दिशा में जाता है।

Share It: