राजस्थान में देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव में उपचुनाव के दौरान एक अप्रत्याशित घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने SDM अमित कुमार को थप्पड़ मार दिया, जिससे चुनावी माहौल गर्म हो गया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही पूरे राजस्थान में बवाल मच गया। इस विवाद का केंद्र बना टोंक जिले का प्रशासनिक आदेश, जिसे वहां की डीएम और जिला निर्वाचन अधिकारी सौम्या झा ने जारी किया था।
घटना का पूरा घटनाक्रम
देवली-उनियारा क्षेत्र के समरावता गांव में मतदान के दिन सुबह 10 बजे तक एक भी वोट नहीं पड़ा था। ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया था। इस स्थिति को देखते हुए डीएम सौम्या झा ने एसडीएम अमित कुमार को समरावता भेजा। अमित कुमार को यह निर्देश दिया गया था कि वे ग्रामीणों और सरकारी कर्मचारियों को समझाकर कुछ मतदान सुनिश्चित करें ताकि 100% बहिष्कार दर्ज न हो।
जब अमित कुमार मौके पर पहुंचे, तो निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे थे। इसी दौरान बातचीत के दौरान विवाद इतना बढ़ गया कि नरेश मीणा ने अमित कुमार को थप्पड़ मार दिया। यह घटना वीडियो में कैद हो गई और वायरल होने के बाद पूरे राज्य में इस पर बहस छिड़ गई।
डीएम सौम्या झा के आदेश और उनकी सफाई
घटना के बाद डीएम सौम्या झा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके आदेश का उद्देश्य केवल यह था कि मतदान प्रक्रिया बाधित न हो।
उन्होंने बताया:
> “जब हमें सूचना मिली कि समरावता में मतदान पूरी तरह से बंद है, तो मैंने नरेश मीणा से फोन पर बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद मैंने एसडीएम अमित कुमार को निर्देश दिया कि वे उनसे मेरी बात कराएं और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास करें।”
सौम्या झा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल आदर्श आचार संहिता के तहत निष्पक्ष चुनाव कराना था, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थिति इस कदर बिगड़ गई।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद समरावता में हालात तनावपूर्ण हो गए। ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस घटना के बाद कई जिलों में प्रदर्शन हुए और राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी विरोध दर्ज कराया। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) एसोसिएशन ने एसडीएम अमित कुमार के साथ हुई इस घटना की कड़ी निंदा की। एसोसिएशन ने इसे प्रशासनिक अधिकारियों की गरिमा पर हमला करार दिया और मांग की कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित न करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक साजिश बताया और मामले की गहराई से जांच कराने की बात कही।
कौन हैं सौम्या झा?
सौम्या झा मध्य प्रदेश के रीवा जिले की रहने वाली हैं। 2017 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 58वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बनीं। उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर मिला, जहां उन्होंने अपनी प्रशासनिक सेवाएं शुरू कीं। सौम्या झा ने राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी अक्षय गोदारा से शादी की। इसके बाद उन्होंने अपने कैडर को स्थानांतरित कर राजस्थान में सेवा देने का फैसला किया।
प्रशासनिक योगदान
– जयपुर जिला परिषद: यहां सीईओ के तौर पर काम करते हुए सौम्या ने ग्रामीण विकास से जुड़े कई अहम प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक लागू किया।
– गिर्वा और उदयपुर में एसडीएम: इन पदों पर उन्होंने प्रशासनिक सुधार और क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
– टोंक जिला कलेक्टर: 2024 की शुरुआत में उन्हें टोंक का डीएम बनाया गया। यहां वे चुनावी और प्रशासनिक कार्यों को संभाल रही हैं।
घटना का व्यापक प्रभाव
इस घटना ने चुनावी ड्यूटी के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे माहौल में, जहां अधिकारी निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए काम कर रहे हों, इस तरह की घटनाएं उनके मनोबल पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। सौम्या झा जैसे अधिकारी न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि महिला नेतृत्व को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस घटना ने उनके निर्णय और नेतृत्व क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया है।
राजस्थान के देवली-उनियारा क्षेत्र में हुआ यह थप्पड़ कांड केवल एक प्रशासनिक घटना नहीं है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया, प्रशासनिक गरिमा और अधिकारियों की सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। इस घटना ने दिखाया कि प्रशासनिक अधिकारियों को कठिन परिस्थितियों में भी किस तरह काम करना पड़ता है। सौम्या झा जैसी अधिकारी, जो अपनी नीतियों और फैसलों के लिए जानी जाती हैं, इस विवाद का केंद्र बन गईं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व इस घटना से क्या सबक लेते हैं और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए क्या कदम उठाते हैं।