महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव की जंग राजनीतिक तापमान को बढ़ा रही है। हालिया लोकसभा चुनाव में भाजपा (BJP) को महाराष्ट्र में कड़ा झटका लगा था, जब दलित, मुस्लिम, और मराठा मतदाताओं का एकजुट गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) को समर्थन देने में जुट गया था। इस बार भी चुनावी दंगल में BJP को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका हल निकालने के लिए पार्टी ने जमीनी स्तर पर अपनी रणनीति को बदल दिया है। आइए जानते हैं महाराष्ट्र के इस विधानसभा चुनाव में BJP की तैयारियों और महाविकास अघाड़ी की रणनीति की अहम बातें।
MVA का संविधान बदलने का आरोप?
महाराष्ट्र में MVA की ओर से BJP पर संविधान को बदलने का आरोप लगाया जा रहा है, जिससे मतदाताओं में एक विशेष भावनात्मक मुद्दा बनता दिख रहा है। विपक्ष संविधान बचाने को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनावों के बाद BJP की रणनीति में बदलाव देखा जा रहा है। जहां लोकसभा चुनाव में BJP को दलित-मुस्लिम-मराठा गठबंधन से नुकसान हुआ था, वहीं अब बीजेपी विभिन्न छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रही है। पार्टी ने इस बार अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए हर वर्ग के साथ संवाद स्थापित करना शुरू किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दलित-मुस्लिम-मराठा गठबंधन फिर से MVA की तरफ न जाए।
प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रैलियों का बदलता स्वरूप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार केवल रैलियां और रोड शो तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने उन इलाकों में रैलियों पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां कार्यकर्ताओं और समर्थकों को प्रेरित करने की जरूरत है। राहुल गांधी पर संविधान का मजाक उड़ाने के आरोप, और दलितों के लिए अलग साबुन जैसी बातों से BJP अपनी स्थिति को मजबूत कर रही है। इससे पार्टी को निचले स्तर पर ज्यादा समर्थन मिलने की उम्मीद है।
मराठा नेता जरांगे…
लोकसभा चुनाव के दौरान BJP के खिलाफ खड़े मराठा नेता जरांगे ने इस बार विधानसभा चुनावों से दूरी बना ली है। उन्होंने अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है, जो मराठा वोटों के विभाजन को रोक सकता है और शरद पवार की NCP को समर्थन देने का एक प्रयास भी हो सकता है। जरांगे का यह कदम BJP के लिए राहत भरा हो सकता है, जिससे मराठा मतदाताओं का बड़ा हिस्सा BJP की ओर खींचा जा सकता है।
अजित पवार और BJP के संबंधों में दरार
अजित पवार, जो महाराष्ट्र में महायुति का हिस्सा हैं, कई मुद्दों पर BJP नेतृत्व से दूरियां बनाए हुए हैं। यह दूरी उन्हें मराठा और मुस्लिम वोटों को आकर्षित करने में सहायक हो सकती है, खासकर पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में। हालांकि, BJP ने भी अजित पवार को स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में छोड़ दिया है क्योंकि वे उनके भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब देने में समर्थ नहीं हैं। BJP मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि NCP में असल में भ्रष्टाचार के अगुआ शरद पवार हैं, न कि अजित पवार।
बहुकोणीय मुकाबले…
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर इस बार लगभग 4,000 उम्मीदवार मैदान में हैं। राजनीतिक पार्टियों की संख्या बढ़ने और शिवसेना तथा NCP के विभाजन के बाद, राज्य में बहुकोणीय मुकाबला अधिक जटिल हो गया है। इन चुनावों में MVA और महायुति गठबंधन के अलावा एक और मोर्चा ‘परिवर्तन महाशक्ति’ के नाम से सामने आया है, जो 110 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। इससे मुकाबला और अधिक रोचक और भ्रमित हो गया है।
कांग्रेस की चुनावी स्थिति और संभावनाएँ
कांग्रेस इस बार 102 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। लेकिन यदि शिवसेना और शरद पवार की NCP अपने कोटे की सीटें नहीं जीत पाती हैं, तो कांग्रेस के लिए 100% सफलता दर बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। कांग्रेस को इस बात का डर है कि बहुकोणीय मुकाबले का लाभ BJP को हो सकता है, जिससे सीटों पर वोटों का बंटवारा BJP की मदद कर सकता है।
विदर्भ में BJP की पकड़ और जातीय समीकरण
विदर्भ क्षेत्र, जो कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है, इस बार BJP के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। BJP का मानना है कि विदर्भ क्षेत्र में जातीय समीकरणों के बावजूद, वह शिवसेना और शरद पवार की NCP से अधिकांश सीटें जीतने की स्थिति में है। भाजपा ने इस क्षेत्र में किसानों के मुद्दों को संबोधित कर और कई अन्य विकास योजनाओं को लागू कर अपना समर्थन बढ़ाया है।
किसानों के मुद्दे पर BJP का ध्यान
लोकसभा चुनाव में BJP को किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब पार्टी ने इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है। प्याज, कपास और सोयाबीन के किसानों को अधिकतम MSP देकर और बेमौसम बारिश से फसलों के नुकसान की भरपाई कर BJP ने किसानों के बीच सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है। प्याज के निर्यात की अनुमति भी दी गई है, जिससे किसानों को राहत मिली है।
लड़की बहन योजना
महिलाओं को सीधे खाते में आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली ‘लड़की बहन योजना’ लोकसभा चुनाव के बाद शुरू की गई, जिससे ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस योजना का असर देखने को मिला था, और अब महाराष्ट्र में BJP इस योजना के जरिए महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटी है।
BJP का संगठनात्मक बदलाव…
लोकसभा चुनाव में हार के बाद BJP ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए अपने संगठनात्मक ढांचे को फिर से संगठित किया। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को महाराष्ट्र में भेजा गया है, जिनके नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया जा रहा है। साथ ही, पार्टी ने कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनने के लिए उनके लिए दरवाजे खुले रखे हैं, जिससे पार्टी के निचले स्तर पर भी सक्रियता बढ़ रही है।
महाराष्ट्र का यह विधानसभा चुनाव BJP और MVA के बीच एक बड़ा मुकाबला बन गया है, जिसमें बहुकोणीय संघर्ष, जातीय समीकरण और पार्टी की रणनीतियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। महायुति और MVA के बीच यह चुनावी संघर्ष कई नई चुनौतियों और असमंजस की स्थिति में मतदाताओं के फैसले को 20 नवंबर को तय करेगा।