महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की तारीख़ नज़दीक आ रही है, और इसके बीच एक प्रमुख सर्वे सामने आया है, जिसमें राज्य में सरकार बनने के संभावित रुझान और मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख चेहरों को लेकर चर्चा की गई है। इस सर्वे के मुताबिक, भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी वाला गठबंधन ‘महायुति’ राज्य में सत्ता बनाने की दिशा में आगे बढ़ता हुआ प्रतीत हो रहा है। वहीं, विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को झटका लगने की संभावना है। इस सर्वे को मैटराइज द्वारा किया गया था, और यह सर्वे राज्य के लगभग 1,09,628 लोगों के बीच आयोजित किया गया था, जिसमें 57 हजार से अधिक पुरुष, 28 हजार महिलाएं और 24 हजार युवा शामिल थे।

महायुति को बढ़त, एमवीए को झटका

मैटराइज सर्वे के अनुसार, राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से महायुति को 145 से 165 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, महाविकास अघाड़ी को 106 से 126 सीटों के बीच सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि महायुति को इस बार के चुनाव में एक स्पष्ट बढ़त मिल सकती है। इसके अलावा, सर्वे में वोट शेयर की बात की गई, जिसमें महायुति को 47 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान है, जबकि एमवीए को 41 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की संभावना है। अन्य 12 प्रतिशत वोट शेयर को विभिन्न छोटे दलों के खाते में जा सकता है।

मुख्यमंत्री पद के लिए एकनाथ शिंदे सबसे पसंदीदा

सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पसंद के बारे में भी पूछा गया, और इस सवाल का जवाब साफ़ रूप से एकनाथ शिंदे के पक्ष में गया। 40 प्रतिशत लोगों ने एकनाथ शिंदे को सीएम के रूप में सबसे पसंदीदा चेहरा बताया, जबकि उद्धव ठाकरे को 21 प्रतिशत और देवेंद्र फडणवीस को 19 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिंदे की नेतृत्व क्षमता और कार्यों से लोग अधिक संतुष्ट हैं। सर्वे में यह भी सामने आया कि 65 प्रतिशत से अधिक लोग एकनाथ शिंदे के कार्यों से संतुष्ट हैं, जिनमें 42 प्रतिशत ने उनके कामकाज को ‘बहुत अच्छा’ और 27 प्रतिशत ने इसे ‘औसत’ बताया है। यह आंकड़े शिंदे के पक्ष में एक मजबूत समर्थन का संकेत देते हैं।

शिवसेना और एनसीपी में बंटवारा

जब इस सर्वे से पूछा गया कि भाजपा नेतृत्व वाली महायुति को अगर 2024 के लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन का सामना करना पड़े, तो इसका कारण क्या हो सकता है, तो लगभग 48 प्रतिशत लोगों ने इसका कारण शिवसेना और एनसीपी में बंटवारे को बताया। इस बात से यह भी जाहिर होता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में गठबंधनों में हो रहे विभाजन का प्रभाव आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है। इन दोनों प्रमुख दलों में बंटवारे ने विपक्ष को कमजोर कर दिया है, और इससे महायुति को लाभ मिल सकता है।

चुनावी संभावनाओं पर जनता का रुख

सर्वे के परिणामों से यह साफ़ होता है कि जनता में महायुति के पक्ष में एक स्पष्ट रुझान है, लेकिन विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने भी अपनी तरफ से जोर लगाया है। इसके बावजूद, भाजपा, शिवसेना और एनसीपी का गठबंधन राज्य में सत्ता बनाने के लिए प्रमुख रूप से तैयार दिखाई दे रहा है। चुनावी माहौल में भाजपा की बढ़त को देखते हुए, आगामी चुनाव में महायुति के जीतने की संभावना अधिक लग रही है, लेकिन चुनावी राजनीति में कभी भी कोई भी परिणाम हो सकता है, इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि कौन सी पार्टी या गठबंधन चुनाव में जीत हासिल करेगा।

सर्वे के अन्य निष्कर्ष

इस सर्वे के अन्य निष्कर्ष भी महत्वपूर्ण हैं। इसमें बताया गया कि भाजपा और महायुति के गठबंधन को बढ़त मिलने का कारण उनकी सरकार की कार्यशैली और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में किए गए कार्य हो सकते हैं। साथ ही, उद्धव ठाकरे और एनसीपी नेताओं के बीच पिछले कुछ सालों में हुए विवादों और गठबंधन टूटने से महाविकास अघाड़ी को नुकसान हो सकता है। वहीं, महायुति को अन्य समुदायों और धर्मनिरपेक्ष वोटों के समर्थन के संकेत भी मिल रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फिलहाल की स्थिति को देखते हुए महायुति के पक्ष में बढ़त नजर आ रही है, और एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा चेहरा बनना इस गठबंधन की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, यह सर्वे केवल एक संभावित आंकड़ा है, और चुनावों के नतीजे कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल की स्थिति को देखते हुए महायुति को सत्ता में आने के लिए सबसे बड़ा उम्मीदवार माना जा रहा है।

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