झारखंड में 2024 विधानसभा चुनावों के परिणाम ने राज्य की राजनीति में कुछ नई हलचलें पैदा कर दी हैं। इंडी गठबंधन की प्रमुख पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 34 सीटों के साथ बड़ी जीत हासिल की है, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी राज्य की राजनीति में अपनी वापसी की है। हालांकि, चुनावी परिणामों में सबसे चौंकाने वाली बात कोडरमा विधानसभा सीट से संबंधित रही, जहां राजद के उम्मीदवार सुभाष प्रसाद यादव हार गए। इस सीट पर राजद के लिए हार का कारण बनीं शालिनी गुप्ता, जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और 69,537 वोट हासिल किए। शालिनी गुप्ता के कारण ही राजद की सीट पर हार आई, और इस हार को लेकर चुनावी राजनीति में नई चर्चाएं उठी हैं।

शालिनी गुप्ता का राजनीतिक सफर

शालिनी गुप्ता का राजनीतिक करियर 2010 में शुरू हुआ था, जब उन्होंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। उन्होंने खरखार पंचायत समिति सदस्य के रूप में जीत हासिल की और इसके बाद कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया। साल 2015 में शालिनी गुप्ता ने डोमचांच भाग 2 से जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वह कोडरमा जिला परिषद की अध्यक्ष बनीं, जहां उन्होंने ग्रामीण विकास के कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत पंचायत स्तर से हुई, लेकिन समय के साथ उनका कद बढ़ता गया और वह क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के तौर पर उभरीं। 2019 में, शालिनी गुप्ता ने भाजपा में शामिल होकर कोडरमा विधानसभा सीट पर टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन भाजपा ने डॉ. नीरा यादव पर भरोसा जताया। फिर उन्होंने आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहीं।

शालिनी गुप्ता का कोडरमा सीट पर खेल बिगाड़ना

2024 के विधानसभा चुनाव में शालिनी गुप्ता ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कोडरमा विधानसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमाई। इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला था, जिसमें भाजपा, राजद और शालिनी गुप्ता के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही थी। शुरूआत से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि शालिनी गुप्ता भाजपा और राजद दोनों के वोटरों को प्रभावित कर सकती हैं, और यही हुआ भी। शालिनी गुप्ता ने न केवल भाजपा के वोटरों को अपने पक्ष में किया, बल्कि राजद के वोटरों में भी सेंध लगाई, जो सुभाष प्रसाद यादव के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। शालिनी गुप्ता के वोटों ने राजद के मतों को विभाजित किया, जिससे सुभाष यादव की जीत की संभावना कम हो गई। अगर शालिनी गुप्ता के मत नहीं बंटते तो शायद सुभाष यादव की राह आसान हो सकती थी। अंततः, नीरा यादव ने सुभाष प्रसाद यादव को महज 5,815 मतों के अंतर से हराया।

शालिनी गुप्ता की सामाजिक और व्यावसायिक पहचान

राजनीतिक गतिविधियों के अलावा, शालिनी गुप्ता एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह कंप्यूटर प्रशिक्षण और आईटी ट्यूशन के क्षेत्र में भी सक्रिय रही हैं। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 2012 में, उन्हें झारखंड पंचायत महिला सम्मान से नवाजा गया था और 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शालिनी गुप्ता की साफ सुथरी छवि और क्षेत्र में उनके कार्यों के कारण, उन्हें ग्रामीण इलाकों में खासा समर्थन मिला। वह 40 वर्ष की आयु में एक पोस्ट ग्रेजुएट महिला नेता के तौर पर उभरीं और इस बार कोडरमा विधानसभा सीट पर उनके द्वारा हासिल किए गए लगभग 70,000 वोटों ने चुनावी समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया।

शालिनी गुप्ता और राजद के लिए हार

कोडरमा सीट पर शालिनी गुप्ता की सफलता ने जहां उनकी राजनीतिक पहचान को मजबूत किया, वहीं यह राजद के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। राजद को उम्मीद थी कि चतरा और कोडरमा जैसे क्षेत्रों में उन्हें जीत मिलेगी, लेकिन शालिनी गुप्ता के चुनावी प्रभाव ने इन उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया। अगर शालिनी गुप्ता चुनावी मैदान में नहीं होतीं, तो संभव था कि राजद की सुभाष यादव की जीत होती। इस प्रकार, शालिनी गुप्ता का प्रभाव और उनके द्वारा किए गए वोट विभाजन ने राजद के चुनावी अभियान को नुकसान पहुंचाया।

झारखंड में राजद की वापसी

2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने अच्छा प्रदर्शन किया, और अपनी गठबंधन साझेदारों जैसे झामुमो, कांग्रेस और सीपीआईएमएल के साथ मिलकर 6 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें 4 सीटों पर जीत हासिल की। राजद के उम्मीदवार नरेश प्रसाद सिंह ने भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी को हराया, जबकि गोड्डा में संजय प्रसाद ने भाजपा विधायक नारायण दास को हराया। हालांकि, कोडरमा में हार और चतरा में भी राजद की हार ने पार्टी के लिए कुछ निराशा का कारण बना।

शालिनी गुप्ता का कोडरमा विधानसभा सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ने और भाजपा तथा राजद के बीच वोटों को विभाजित करने का कदम इस चुनाव के सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाले घटनाक्रमों में से एक था। उनका राजनीतिक कद और समाज में प्रभाव, उन्हें भविष्य में झारखंड की राजनीति में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार कर रहा है। हालांकि, राजद के लिए कोडरमा की हार एक कड़ी चुनौती साबित हुई, लेकिन यह चुनावी घटनाक्रम यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय नेताओं का प्रभाव अब और भी मजबूत हो चुका है। शालिनी गुप्ता के इस चुनावी खेल ने यह साबित कर दिया कि राजनीति में कभी भी किसी की ताकत को कम करके नहीं आंका जा सकता।

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